पुराणो और ग्रंथो में विभिन्न कामनाओं के लिए विभिन्न प्रकार के व्रत और उपवास बताये गए है, इन व्रतो में सबसे श्रेष्ठ व्रत जो मनपसन्द जीवनसाथी की कामना पति की दीर्घायु और दाम्पत्य सुख के लिये कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत है ,यह करक चतुर्थी या करवा चौथ के नाम से जाना जाता है ,महाभारत काल में पांडवो की रक्षा हेतु द्रोपती ने यह व्रत किया था ,शास्त्रो में इस व्रत से जुडी अनेक कथाये प्रचलित है,अपने पति के उतम स्वास्थ्य एव उसके मंगल कामनाओं के निमित किया जाने वाला यह व्रत सुख सौभाग्य प्रदाता है,वास्तव में यह व्रत दाम्पत्य जीवन में आ रही परेशानियों पति पत्नी के बीच चल रहे मन मुटाव व अन्य सूक्ष्म बाधाओ को दूर करने में समर्थ है,
वर्तमान में यह व्रत
हमारे देश में
ही नहीं विदेश
में भी किया
जाता है,जो
भारत वंशी हमारे
देश से दूर
अमेरिका कनाडा,ऑस्ट्रेलिया,लन्दन
इत्यादि देशो में रहते
है वो भी
अपने पति की
दीर्घायु और मंगल कामना
के लिए ये
व्रत रखते है
इस माह यह
व्रत 11 अक्टूबर 2014 शनिवार
को किया जायेगा,इस व्रत में
चंद्रोदय कालीन चतुर्थी तिथि
ग्रहा की जाती
है,अगर दो
दिन चंद्रोदय व्यापिनी या
दोनों ही दिन
न हो तो
पहले दिन वाली
चंद्रोदय ही लेनी चाहिए।इस व्रत
को सनातन धर्म
में अधिकांश स्त्रीया पति
की मंगल आयु
और सुहाग की
प्राप्ति के लिये करती
है, सनातनी हिन्दू
स्त्रियों के लिये यह
करवा चौथ का
व्रत अखण्ड सुहाग
को देना वाला
माना गया है, स्त्रीया चन्द्रमा की
पूजा करके अर्ग्य
देकर चलनी से
चन्द्रमा को देखकर पति
को देखती है।
और पति के
हाथ से पानी
पीकर ही व्रत
को पूर्ण करती
है। हिन्दू संस्कृति में
पति को परमेश्वर ही माना
गया है, इसलिए
यह व्रत पति
और पत्नी दोनों
के लिये अपार
प्रेम,त्याग,समर्पण
का प्रतिक है,इसलिये स्त्रीया इस
दिन पूर्ण सुहागिन का
श्रृंगार करके चन्द्रदेव की
पूजा कर अपने
अखण्ड सुहाग की
प्राप्ति के लिये प्रार्थना करती
है। महिलाये सोलह
श्रृंगार करके दिन भर
भूखी प्यासी रहकर
ईश्वर के सामने
यह प्रण लेती
है की मै
मन कर्म,वचन
से पति के
प्रति पूर्ण रूप
से समर्पण की
भावना से रहू
और मेरा सुहाग
सदा अमर बना
रहे।
कार्तिक मास की चतुर्थी को
केवल चन्द्रदेव की
ही पूजा नहीं
होती,बल्कि शिव
पार्वती,भगवान गणेश और
कार्तिकेय की भी पूजा
होती है। शिव
पार्वती की पूजा का
विधान इसलिए माना
गया है की
जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने
घोर तपस्या करके
भगवन शंकर को
प्राप्त किया वैसे ही
उन्हें भी प्राप्त हो,वैसे भी गौरी
पूजन कुवारी कन्यायो और
विवाहिता स्त्रियों के लिए विशेष
महत्व माना गया
है।
[ कितना इंतज़ार
करवायंगे चन्द्र देव ]
कृष्ण पक्ष की
चतुर्थी तिथि यानि करवा
चौथ को चन्द्र
देव के निकलने
पर और चन्द्र
दर्शन होने पर
ही उपवास पूर्ण
होता है। इस
बार चन्द्र देव
ज्यादा इंतज़ार नहीं
करवायेंगे ,भारतीय स्टैण्डर्ड टाइम
के अनुसार
दिल्ली में ---- 20 .19 मिनट पर
मुम्बई में ---- 20. 50 मिनट पर
कलकता में ----19 . 41 मिनट पर
चेन्नई में ---- 20 . 28 मिनट पर
जयपुर में ---- 20 . 28 मिनट पर
लुधियाना ----
20 . 20 मिनट
पर
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